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डीएवी बीएड कॉलेज  में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयंती पर समारोहों का शुभारम्भ

08:20 PM Feb 13, 2023 IST | Rajbir
डीएवी बीएड कॉलेज  में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयंती पर समारोहों का शुभारम्भ
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होशियारपुर । डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधक कमेटी के प्रधान डॉ.अनूप कुमार तथा सचिव (रिटायर्ड प्रिंसिपल) श्री.डी.एल.आनंद जी के मार्गदर्शन में चल रही संस्था डी.ए.वी. कॉलेज ऑफ एजुकेशन, होशिआरपुर में सत्य के उद्घोषक तथा समाज सुधारक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर निरंतर चलने वाले विश्वव्यापीआयोजनों का शुभारम्भ किया गया I
इस अवसर पर कमेटी के प्रधान डॉ.अनूप कुमार ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के पुनर्जागरण के प्रेरणास्त्रोत के रूप में जाने जाते हैं तथा यह भी घोषणा की कि उनकी विश्वव्यापी स्तर पर मनाई जाने वाली 200वीं जयंती कॉलेज में भी निरंतर एक साल तक मनाई जाएगी I इस अवसर पर करवाए गए सेमिनार के मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार मुरारी शर्मा रहे जिन्होंने कॉलेज के एम.एड. तथा बी.एड. के छात्रों को स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के जीवन दर्शन के बारे में विस्तार से बताते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया Iतत्पश्चात बी.एड. के छात्रों ने भी भाषण के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी दयानन्द जी के योगदानों पर प्रकाश डाला I
इस अवसर पर कॉलेज की हिंदी साहित्य सभा की ओर से अन्तर हाउस स्लोगन लेखन तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता भी करवाई गयी I स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में मुस्कान को प्रथम, प्रियंका को द्वितीय, वैशाली व दलजीत को तृतीय, नवलीन को प्रशंसा तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता में दविंदर को प्रथम, साक्षी को द्वितीय, प्रीती बाला को तृतीय तथा नेहरू हाउस को ओवर आल फर्स्ट घोषित किया गया I
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.विधि भल्ला ने इस अवसर पर मुख्य वक्ता तथा श्रोताओं का धन्यवाद किया तथा विजेताओं को बधाई दी I अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का व्यापक योगदान रहा है तथा उनके जीवन से प्रेरणा लेकर भारत की युवा पीढ़ी को भी मानव कल्याण तथा राष्ट्र निर्माण के लिए बढ़-चढ़ कर आगे आना चाहिए तथा साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि यह जयंती कॉलेज में निरंतर सेमिनारों,प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न गतिविधियों के रूप में मनाई जाएगी तांकि उनके द्वारा चलायी गई परम्पराएं समृद्ध हो सकें I

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